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The enchanted pool class 10 in hindi

The enchanted pool class 10 in hindi

Summary of The Enchanted Pool in hindi

दोस्तों the enchanted pool पाठ में होता कुछ यूं है कि युधिष्ठिर को बहुत ज्यादा प्यास लगी हुई होती है और उनके लिए पानी की व्यवस्था करने के लिए उनके सभी भाई एक एक करके पानी की तलाश में निकल पड़े लेकिन जब कोई भी भाई पानी लेकर वापस नहीं आया और बहुत देर हो गया तब युधिष्ठिर को उन सभी की सुरक्षा कि चिंता होने लगी थी। युधिष्ठिर को बहुत ज्यादा प्यास लगी हुई थी और अपने भाइयों की चिंता भी हो रही थी इसलिए उन्होंने यह फैसला लिया कि वह अपने भाइयों की तलाश करने निकलेंगे और वह चलते-चलते एक तालाब के पास पहुंचते हैं जहां पर वह देखते हैं कि उनके सभी भाई हैं वह मृत पड़े हुए थे। वह यह देखकर अपने आप को काबू नहीं कर पाए अपने मन पर नियंत्रण नहीं कर पाए और अपने भाइयों को देखकर रोना शुरू कर दिया। वह अपने सभी भाइयों को ऐसे जमीन पर मृत अवस्था में देखकर उनका मन बहुत ज्यादा दुखी हुआ लेकिन वह अपनी पानी पीने की इच्छा को नियंत्रित नहीं कर पाए। वह अपनी प्यास बुझाने के लिए तालाब की तरफ बढ़ने लगी जैसे ही वह तालाब की तरफ बढ़ते हैं तभी उन्हें एक आवाज सुनाई देती है। एक चेतावनी की आवाज सुनाई देती है और वह आवाज युधिष्ठिर से कह रही थी कि उनके भाइयों ने इस चेतावनी को नजरअंदाज किया और बिना सवालों के जवाब दिए ही पानी पीने लगे जिसकी वजह से वह सभी अपनी जान गवा बैठे। और आवाज ने युधिष्ठिर से यह भी कहा कि मेरे प्रश्नों के उत्तर दिए बिना तुम पानी को छू भी नहीं सकते यह सुनते ही समझ युधिष्ठिर गए कि यह चेतावनी की आवाज  यक्ष की थी और उन्होंने यक्ष से सवाल पूछने के लिए बोला।


यक्ष यमराज के रूप थे वह युधिष्ठिर के बुद्धिमता को जांचने परखने के लिए उनसे कई सारे सवाल जो है पूछते हैं जैसे कि “खतरे में मनुष्य को कौन बचाता है?” और “मृत्यु के बाद मनुष्य के साथ कौन जाता है?” और ऐसे ही कई सारे सवालों  पूछते हैं ताकि उनकी बुद्धिमता का आकलन किया जा सके और उनके इन सभी सवालों का युधिष्ठिर ने बहुत ही अच्छा और संतोषजनक जवाब दिया। युधिष्ठिर ने इतने सुंदर और संतोषजनक जवाब दिए जिससे यह साबित हो गया कि वह एक धैर्यवान दयालु और धर्म के अनुसार व्यवहार करने वाले व्यक्ति है।

युधिष्ठिर के सभी जवाबो को सुनने के बाद यक्ष  संतुष्ट हो जाते हैं और युधिष्ठिर से अपने सभी भाइयों में से किसी एक भाई को जीवित कराने की बात कहते हैं। यह सुनते ही युधिष्ठिर सोच में पड़ गए कि किस भाई को जीवित कराया जाए और सोच विचार करने के बाद उन्होंने बोला कि "मुझे नकुल ही प्राण लौटा दो"। यह सुनने के बाद यक्ष पूछते हैं कि तुम्हें नकुल के ही जान क्यों वापस चाहिए। यक्ष युधिष्ठिर से कहते हैं कि तुम तो भीम की भी जान वापस मांग सकते थे जो कि 16000 हाथियों की शक्ति के बराबर है या फिर अर्जुन की जान मांग सकते थे जो संकट में तुम्हारी रक्षा कवच बनकर साथ देगा। तुम्हें नकुल कहीं प्राण क्यों वापस चाहिए? इस पर युधिष्ठिर कहते हैं कि मेरे पिता की दो रानियां है एक कुंती और एक माद्री। कुंती के वंश में से मैं स्वयं ही जिंदा हूं तो अगर हम न्याय की दृष्टि से देखें तो माद्री के वंश से भी एक पुत्र को जिंदा होना चाहिए इसीलिए मैंने नकुल की प्राण वापस मांगी।

और यह सुनने के बाद यक्ष जो कि यमराज के रूप थे उन्होंने युधिष्ठिर का न्याय के प्रति प्रेम देखकर बहुत ही ज्यादा प्रभावित हुए और उन्होंने युधिष्ठिर को उनके सभी भाइयों के प्राण वरदान स्वरूप लौटा दिए।

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