Socrates class 10 in hindi
So Here is the summary of Socrates class 10 of up board in hindi
दोस्तों यह पाठ सुकरात(socrates) जो कि एक महान शिक्षक था और फिलॉस्फर्स था एथेंस का उसके बारे में पढ़ने वाले हैं। सुकरात एथेंस को एक आदर्श राष्ट्र चाहता था उसके कई शिष्य भी थे।फिर बात करते हैं सुकरात की बचपन कि जब सुकरात छोटा था तब वह बहुत ही ज्यादा बदसूरत था और छोटे कद का था उसकी नाक जो है वह चपटी(flat) थी और उसकी आंखें बाहर की तरफ निकली थी, वह उभरी हुई थी उसका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ उसी लिए उसने एक सादा जीवन बिताया और बचपन में जब वह विद्यालय जाता था तो वहां पर वह म्यूजिक, जिमनास्टिक, मैथ्स, साइंस और तारों के बारे में भी कुछ बातें सिखा करता था।
जैसे-जैसे सुकरात बड़ा हुआ उसका धन के प्रति और आराम के प्रति रुचि थी वह बहुत ही ज्यादा कम होने लगी वह एक थॉटफुल पर्सन बनने लगा थॉटफुल पर्सन का मतलब है विचारशील व्यक्ति और वह अपने आसपास की चीजों को बहुत ही ध्यान से देखता था और उनका निरीक्षण(observe) करता था। सुकरात अपने आसपास के लोगों को भी यह सिखाया करता था कि लोग अपने लिए भी समय निकालें और अपनी बुद्धि का, विवेक का प्रयोग कर के चीजों को समझे जैसे की कौन सी बात सच्ची, सत्य, न्यायपूर्ण और सुंदर है और कौन सी बात नहीं है। जब सुकरात बूढ़ा हो गया तब उसको लोग हर जगह जानने(famous) लगे थे वह जहां भी जाता था उसके साथ साथ उसके शिष्य भी जाते थे। उसके एक शिष्य का नाम प्लेटो(Plato) था जोकि सुकरात की बताई हुई हर बात को बहुत ही ध्यान से याद रखता था अपने मन में। प्लेटो भी आगे चलकर अपने गुरु सुकरात की तरह एक प्रसिद्ध शिक्षक बना।सुकरात का एक और शिष्य था जिसका नाम था क्रीटों इसके बारे में हम आगे पड़ेंगे।आगे चलकर होता कुछ यूं है कि बहुत सारे लोग सुकरात की बातों से सहमत नहीं थे और उन पर एथेंस( Athens) के युवाओं को गुमराह करने के लिए कई सारे आरोप भी लग चुके थे।उन पर एथेंस के देवी देवताओं का आदर ना करने का भी आरोप लगा था क्योंकि वह ईश्वर को बलि चढ़ाने की प्रथा को सही नहीं मानते थे। उनकी नजर में यह गलत था। इस बात पर वहां के शासक ने सुकरात के ऊपर कारवाई शुरू कर दी। और सुकरात को न्यायालय में उपस्थित होने के लिए बोल दिया गया।सुकरात के कई मित्रों ने बोला कि अब तुम्हें भाग जाना चाहिए या तो छुप जाना चाहिए लेकिन सुकरात जो है वह न भागा और ना ही कहीं छुपा। वह एकदम निडर, निर्भय होकर न्यायालय में उपस्थित हो गया और वहां पर भी उसने शानदार भाषण दिया। उसका ऐसा मानना था कि उसने कुछ भी गलत नहीं किया है और अंत में उसे मृत्यु दंड की सजा सुना दी गई और उन्होंने इस मृत्युदंड को भी खुशी खुशी स्वीकार कर लिया।
अब दोस्तों सुकरात जेल के कमरे में हैं और जेलर ने सुकरात को इस स्थान पर आने वाले सभी लोगों में सबसे सर्वश्रेष्ठ बताया। जेलर ने सुकरात को विष का प्याला दिया और उसी के साथ साथ उसने किया निवेदन भी किया सुकरात से कि मुझे माफ कर दो क्योंकि इसका गुनहगार में नहीं हूं। और पूरा परिवार भी उसके शिष्य भी जेल में उसके साथ उपस्थित थे माहौल एकदम शोकाकुल(grief) हो चुका था और कमरे अब सभी लोग रोने लगे थे इस पर सुकरात ने बोला कि शांत हो जाओ और संयम रखो। अंत में सुकरात ने अपने शिष्य क्रीटों को धीरे से कहा कि एस्क्लेपियस से लिया गया एक मुर्गे का कर्ज चुका देना।और क्रीटों ने भी कहा कि हां वह इस कार्य को जरुर झुकाते का और और सुकरात कि अब मृत्यु हो गई।
तो दोस्तों इस तरीके से या पाठ खत्म होता है।
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